उत्तराखंड के जंगल अभी भी जल रहे हैं. इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “उत्तराखंड सरकार को जंगल की आग बुझाने में गंभीरता और तत्परता दिखानी चाहिए. इस संबंध में राज्य सरकार का रवैया त्वरित कार्रवाई वाला नहीं दिखा. वन विभाग के कर्मचारियों को चुनाव एवं चारधाम यात्रा से अलग किया जाए। हम चुनाव आयोग को यह भी निर्देश देते हैं कि राज्यों में वन विभाग के कर्मचारियों और वाहनों को चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात नहीं किया जाएगा।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन कोष का इस्तेमाल जल्दी और विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए। आग बुझाने के लिए उचित कार्यबल उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिए. वन विभाग में रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती की जाय।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश होने को कहा है. 17 मई को होने वाली अगली सुनवाई में मुख्य सचिव को कोर्ट में पेश होकर उत्तराखंड में अग्निशमन विभाग में खाली जगह न भरने के कारणों और वहां आग बुझाने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी देनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- वन विभाग के खाली पदों पर कब होगी भर्ती?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार ने 9.23 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, जिसका इस्तेमाल गैर-वन गतिविधियों में किया गया. केंद्र सरकार को शेष करीब छह करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार को उपलब्ध करानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार बताए कि वन विभाग में कितने पद खाली हैं? इनकी भर्ती कब होगी? कोर्ट ने कहा कि हमने देखा है कि राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन कोष के बावजूद धन उपलब्ध नहीं था, कर्मी और वाहन उपलब्ध नहीं थे और आग बढ़ती गई. राज्य सरकार रिक्त पदों पर भर्ती को लेकर कुछ रियायत चाहती थी.
छह महीने में 1,145 हेक्टेयर जंगल नष्ट
नवंबर से अब तक उत्तराखंड में 9 सौ से ज्यादा आग की घटनाएं हो चुकी हैं. इस बार मामला इसलिए ज्यादा गंभीर है क्योंकि पिछले साल लगी आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह महीनों में जंगल की आग के कारण 1,145 हेक्टेयर जंगल नष्ट हो गए हैं। आग का असर अब शहर पर भी पड़ने लगा है. धुएं के कारण दृश्यता कम हो गई है. इस बीच कई प्रयास किये जा रहे हैं. वायुसेना के हेलीकॉप्टर भी अलग-अलग तकनीक से आग बुझाने में लगे हुए हैं.